Monday, October 22, 2007

jabalpuriya

pyarey bhai,

yah blog jabalpur ke logo ko samrpit hai.
aap bhi apni dil ki baat jo aap khul kar nahi kah pa tey hai is per nikal dijiye, badi maharbani hogi is sahar per.

intjar hai......

jabalpuriya's

4 comments:

विकास परिहार said...

काए बड्डे एक और नया ब्लॉग खुल गया है जबलपुर वासियों के लिए??????????
अरे अब देखना यह है कि संस्कारधानी के संस्कारी लोग अपने संस्कारों की संसकृति को कैसे सुरक्षित रखते हैं। आपके इस नवीन प्रयास के लिए मेरा साधुवाद स्वीकारें।
आप सभी जबलपुरियों के लिए पेशे खिदमत है :-
इस शहर मे अब नज़र आती नहीं कोई दरार।
घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तेहार।
इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीक-ए-ज़ुर्म हैं,
आदमी या तो ज़मानत पर रिहा है या

बाल भवन जबलपुर said...

IS NAZARIYE SE BHEE DEKHIYE JABALPUR KO:-
खदानों के पत्थर जो अनुमानाते हैं
मेरे घर की बुनियादें वो जानतें हैं....!

बाल भवन जबलपुर said...

http://jabalpursamachar.blogspot.com/2007/11/blog-post_16.html

ISE BAANCHANAA...?

ravindra dubey said...

जबल्पुरिया ब्लोंग बनाने के पीछे की भी कहानी रोचक है|एक दिन काशीनाथ गुरु,संजीव चौधरी,अजय त्रिपाठी और रविन्द्र दुबे चौधरी फोतोग्राफर्स प्रभु सिनेमा के सामने बैठे थे|सभी ब्लोग्स पर बतिया रहे थे|उसी दोरान चर्चा चली क्यों न एक ब्लोंग जबलपुर पर भी शुरू दिया जाये| नाम पर चर्चा हुई और तय हो गया जबल्पुरिया| बैसे भी संस्कारधानी में हर काम मजाक-मजाक में करने की आदत होती है| चार पत्रकारों ने मिलकर भी यही काम कर दिया| इसके पीछे सोच थी की यहाँ की बिना छपी बातें और मीडिया से जुडे लोगों का दर्द भी सबके सामने आना चाहिए लेकिन समय ने वह नहीं होने दिया| अब समय मिला तो लगभग साल भर बाद कहानी बताने को मन कर गया| जोभी पत्रकार या उससे जुडे लोग अपनी या संस्था की राम कहानी लिखना चाहते है उनका स्वागत है| आगे भी बस स्टेंड की रात वाली कहिअनसुनी आपके सामने लाने का प्रयास होगा|